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रविवार, 10 नवंबर 2019

बलरामपुर : बेटे बताते रहे पिता को हार्ट अटैक आया था, लेकिन संदेह पर जलती चिता से पुलिस ने जब्त की हड्डियां, बेटों पर हत्या का अपराध दर्ज


 न्यूज डेस्क  आगरा मीडिया  ::. बलरामपुर जिले के तातापानी से लगे दामोदरपुर में ग्रामीण की मौत के बाद आनन-फानन में शव का अंतिम संस्कार करने की कोशिश ने ऐसा संदेह उत्पन्न किया कि पुलिस को जलती चिता से अधजली हड्डियां और राख जब्त करनी पड़ी। पीएम रिपोर्ट और गवाहों के बयान के बाद मामला हत्या का निकला। हत्या भी किसी दूसरों ने नहीं बल्कि बेटों ने की थी और गांव में प्रचारित कर दिया था कि पिता की मौत हृदयाघात से हुई है। लंबी जांच के बाद पुलिस ने दो पुत्रों के खिलाफ हत्या और साक्ष्य छिपाने की धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। हत्या के मामले की जांच 17 जुलाई 2019 से आरंभ हुई थी। रामानुजगंज पुलिस को मोबाइल से एक व्यक्ति ने सूचना दी थी कि दामोदरपुर निवासी कार्तिक गोलदार की संदेहास्पद मौत के बाद उनके बेटों ने सामाजिक मान्यताओं को दरकिनार कर आनन-फानन में शव को अंतिम संस्कार के लिए गांव से लगे कृष्णा बांध में ले गए हैं। सूचना पर जब रामानुजगंज पुलिस कृष्णा बांध के तट पर पहुंची तो वहां मौजूद लोग देखते ही देखते भाग गए। मौके पर मृतक का भाई रंजीत गोलदार मिला।

पुलिस ने विलंब किए बगैर जलती चिता पर पानी डाला और अधजली हड्डियां तथा राख जब्त कर जांच के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल भिजवाया। मामले में पुलिस ने जांच शुरू कि तो प्राथी मृतक कार्तिक गोलदार के बड़े भाई रंजीत गोलदार सामने आए। उन्होंने बताया कि घटना दिवस की सुबह उसके भतीजे ने फोन पर सूचना दी कि पिता की मौत रात को हृदयाघात से हो गई है। जब वे पहुंचे तो देखा कि भाई का शव खाट में पड़ा था। ऊपर से चादर ढंक दिया गया है। जीभ दांतों में दबी हुई है। भतीजे अपूर्व गोलदार व एक अन्य जल्दबाजी में बगैर सामाजिक मान्यता का पालन किए शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लगे। न तो शव को नहलाया और न ही कपड़े उतारे। पूछने पर बताया कि रात को हृदयाघात से पिता की मौत हुई है। उसने पुलिस को यह भी बताया कि एक वर्ष पूर्व मृतक को हृदयाघात जरूर हुआ था और बीमारी से एक किडनी भी निकाल दी गई थी, लेकिन जिस तरीके से शव का अंतिम संस्कार करने की जल्दबाजी की गई और ट्रैक्टर में लकड़ी रख शव को उसी में डाल ले जाया गया, उससे लगा मौत सामान्य नहीं है।

इस बयान के आधार पर पुलिस ने पीएम रिपोर्ट का इंतजार किया और गांव के कुछ अन्य से पूछताछ की तो पता चला कि जमीन को लेकर घर में कुछ विवाद चला रहा था। पिता जमीन बिक्री के पक्ष में नहीं था। इसको लेकर सब कुछ ठीक नहीं था। घटना के बाद बेटे भी सामान्य नहीं थे। उन्होंने घर छोड़कर दूसरे रिश्तेदारों के यहां रहने लगे थे। पीएम रिपोर्ट, स्वतंत्र गवाहों के बयान व संपूर्ण मर्ग जांच में पुलिस ने पाया कि मृतक कार्तिक गोलदार की हत्या दो बेटों ने की और साक्ष्य छिपाने आनन-फानन में शव का अंतिम संस्कार करने का प्रयास किया। जांच के आधार पर पुलिस ने मृतक के पुत्र अपूर्व गोलदार व उसके छोटे भाई के खिलाफ हत्या तथा साक्ष्य छिपाने की धारा 302, 201, 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
आरोपितों द्वारा ग्रामीणों को दी झूठी जानकारी

पिता को एक बार हृदयाघात हुआ था, ऐसे में आरोपितों को यकीन था कि लोग मान जाएंगे कि पिता की मौत हृदयाघात से हुई है। लेकिन जिस जल्दबाजी में उन्होंने शव को जलाने की कोशिश की, उससे सबका संदेह गहरा गया। गांव में किसी की मौत पर सभी जुटते थे। प्रत्येक सामाजिक मान्यता को पूरा किया जाता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। पुलिस के अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंचते ही बयान और जांच के दायरे में आने की संभावना से लोग वहां से चले गए।


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