
बस्ती। लॉकडाउन में बेटों के न आ पाने पर पत्नी ने कांपते हाथों से पति को मुखाग्नि दी तो लोगों की आंखें छलक पड़ीं। बेटे रोजी-रोटी कमाने के लिए प्रदेश से बाहर गए थे और लॉकडाउन में वहीं फंस गए। बेटों को पिता के मौत की खबर लगी तो वह चाहकर भी अंतिम दर्शन को नहीं आ सके। जब गांव के लोगो ने वीडियो कॉलिंग के माध्यम से उनके पिता का अंतिम दर्शन कराए तो वे सभी वीडियो कॉलिंग पर ही फुट- फुट कर रोये और अपने आप को कोसते नज़र आये। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर स्वर्गवासी संतराम को मुखाग्नि कौन देगा जब बच्चे बाहर है ऊपर से पूरे देश मे लॉक डाउन चल रहा है।
उनके तीन बेटों में राधे कृष्ण पूना, अर्जुन प्रसाद हरियाणा और सबसे छोटा बेटा सुभाष पंजाब में अपने परिवार के साथ रहकर वहीं नौकरी करते हैं। संतराम के साथ पत्नी कैलासी गांव में ही रहते थे। वहीं रविवार को दोपहर में 12 बजे अचानक संतराम की तबियत बिगड़ गई पड़ोसी उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कुछ ही देर में संतराम शर्मा की मौत हो गई। मृतक सन्तराम के बेटों ने पिता का अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये स्थानीय प्रशासन से अनुमति मांगी लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। काफी प्रयास के बाद मृतक के बेटों ने लाकडाउन के चलते पिता के अंतिम संस्कार में न पहुंच पाने की मजबूरी ग्रामीणों से बताई।
इसके बाद पत्नी कैलासी देवी ने खुद ही अंतिम संस्कार कराने का निर्णय लिया। जिसके बाद पेंदाघाट पर मृतक संतराम को उनकी पत्नी कैलासी ने अपने कांपते हुए हाथों से मुखाग्नि दी और उनकी आंखों से आंसुओं का सैलाब नहीं थम रहा था। फिर गांव के लोगों ने इस बात का ढांढस बधाते रहे कि हम सभी इस दुख की घड़ी में आपके साथ है। वही जिसने भी यह नज़ारा देखा वह वही मानो कुछ देर के लिए थम सा गया और यकीन मानिए इस पल को जिसने भी अपने आंखों के सामने देखा उसका हृदय पूरी तरीके से झकझोर उठा और बरबस अपने आँखों से आंसुओ को नहीं रोक सका। इस घटना को लेकर पूरे क्षेत्र में खूब चर्चा हो रही है। वहीं पिता की मौत में शामिल न हो पाये बेटों ने वीडियो कॉलिंग के जरिये पिता का अंतिम दर्शन किए।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.